आप सब को जानकारी के लिए बता दे कि पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाई गुड़ी में एक बहुत बड़ा ट्रेन हादसा हुआ है। और इस हादसे में एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाले कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दिया है। बता दे कि इस टक्कर की वजह से कंचनजंगा एक्सप्रेस की कई सारे बोगी ट्रेन के पटरी पर से नीचे उतर गया है। और इस हादसे में कई लोगों की मौत भी हो चुका है और बहुत से लोग घायल अवस्था में है। लेकिन अब सवाल आता है कि आखिर इस हादसे में ट्रेन का सुरक्षा कवच ने काम क्यों नहीं किया इस हादसे को ट्रेन का सुरक्षा कवच क्यों नहीं रोक पाया आखिर क्या कारण था कि ट्रेन का सुरक्षा कवच फेल हो गया।
आप सब को जानकारी के लिए बता दे की रेलवे की तरफ से अभी तक इस तरह की ट्रेन हादसे को रोकने वाले सुरक्षा कवच सिस्टम को लेकर कोई अपडेट नहीं दिया गया है। लेकिन आइए हम आप लोगों को रेलवे के इस सेफ्टी सिस्टम कवच के बारे में बताते है। आइए हम आप सबको यहां पर बताने जा रहे हैं कि रेलवे का सुरक्षा कवच सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है।
रेलवे का कवच प्रोटक्शन सिस्टम क्या है
आप सबको जानकारी के लिए बता दे की रेलवे का कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम है जिसे भारतीय रेलवे ने रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) की मदद से डेवलप किया है। बता दे कि रेलवे सुरक्षा कवच सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 से काम शुरू किया था। और शुरुआत में इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System यानी (TCAS) था।
दरअसल आप सबको बता दे की ट्रेन भारत के लगभग सभी जगह पर पहुंचती है और ट्रेन से हर दिन लाखों लोग सफर करते हैं। यानि कहने का मतलब की रेल भारत के सभी कोने तक प्रतिदिन जाता है और प्रतिदिन रेल से लाखों, करोड़ो लोग सफर करते हैं, और जब कभी ट्रेन हादसा होता है तो उस ट्रेन हादसे में कई लोग अपना जान भी गवा देते है। तो इसीलिए इस तरह के ट्रेन हादसे को रोकने के लिए भारतीय रेलवे का मकसद 0 एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है। यानी भारतीय रेलवे का मकसद है कि भारत में ट्रेन हादसा जीरो हो जाए। और इसका पहले ट्रायल साल 2016 में शुरू हुआ था और चरणबद्ध तरीके से रेलवे सुरक्षा कवच सिस्टम का इंस्टालेशन किया जा रहा है यानी भारतीय रेल इस सिस्टम के ऊपर लगातार काम कर रहे हैं।
कैसे काम करता है यह सिस्टम
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आप सबको जानकारी के लिए बता दे की ट्रेन सुरक्षा कवच सिस्टम में कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और सेंसर शामिल होते हैं। और इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस को ट्रेन रेलवे ट्रैक रेलवे सिग्नल और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है। यह सिस्टम दूसरे कॉम्पोनेंट्स और अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है।
बता दे कि अगर कोई लोको पायलट यानी (ट्रेन चालक) किसी सिग्नल को तोड़ता है तो ट्रेन का सुरक्षा कवच एक्टिवेट हो जाता है और इसके बाद ये सुरक्षा कवच सिस्टम लोको पायलट को बार-बार अलर्ट करता है। और फिर यह सिस्टम ट्रेन के ब्रेक का कंट्रोल हासिल करता है उसके बाद सुरक्षा कवच सिस्टम को जैसे ही पता चलता है की एक ट्रेन पर कोई दूसरी ट्रेन भी आ रही है तो वह पहली ट्रेन को रोक देता है। और यह सुरक्षा कवच सिस्टम लगातार ट्रेन की मूवमेंट को ट्रैक करता है और आगे सिग्नल शेयर करता रहता है।
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